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    मोटापे में आनुवांशिकता की भूमिका: क्या मोटापा वंशानुगत होता है?

    Role of Genetics in Obesity


     मोटापे में आनुवांशिकता की भूमिका: क्या मोटापा वंशानुगत होता है?

    मोटापा एक जटिल और बहु-कारक स्थिति है, जो दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। हालांकि जीवनशैली और पर्यावरणीय कारण इसकी मुख्य वजहें माने जाते हैं, लेकिन शोध यह भी स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि आनुवांशिकता (genetics) भी मोटापे की प्रवृत्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

    इस लेख में हम जानेंगे कि क्या मोटापा वाकई वंशानुगत है, किन-किन जीनों का इसमें योगदान है, और यह जानकारी मोटापे की रोकथाम और प्रबंधन में किस प्रकार मदद कर सकती है।

    1. मोटापे की बुनियादी समझ

    मोटापा वह स्थिति है जिसमें शरीर में अत्यधिक चर्बी जमा हो जाती है। इसे मापने का सबसे आम तरीका है बॉडी मास इंडेक्स (BMI)। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति का BMI 30 या उससे अधिक है, तो उसे मोटापे की श्रेणी में रखा जाता है। मोटापा अनेक स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा होता है जैसे हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कुछ प्रकार के कैंसर।

    2. मोटापे में आनुवांशिक भूमिका

    हालांकि गलत खानपान, शारीरिक निष्क्रियता और तनाव मोटापे के मुख्य कारक हैं, लेकिन वैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि आनुवांशिक कारक भी मोटापे के खतरे को प्रभावित करते हैं।

    2.1 पारिवारिक प्रवृत्ति
    यदि किसी व्यक्ति के परिवार में मोटापा आम है, तो उसके स्वयं मोटापे का शिकार होने की संभावना अधिक होती है।

    2.2 जुड़वां बच्चों पर अध्ययन
    जुड़वां बच्चों पर किए गए शोध में पाया गया है कि यदि एक जुड़वां भाई या बहन मोटापे का शिकार है, तो दूसरा भी अक्सर वैसा ही होता है — विशेष रूप से एक जैसे जीन रखने वाले मोनोज़ाइगोटिक जुड़वां बच्चों में।

    2.3 गोद लिए गए बच्चों का अध्ययन
    ऐसे अध्ययन दिखाते हैं कि गोद लिए गए बच्चों में मोटापे का खतरा उनके जैविक माता-पिता के वजन से अधिक जुड़ा होता है, बजाय उनके पालने वाले माता-पिता के।

    2.4 जीनोमिक रिसर्च (GWAS)
    हाल के वर्षों में जीनोमिक अध्ययन (Genome-Wide Association Studies) के माध्यम से वैज्ञानिकों ने कई ऐसे जीन पहचाने हैं जो मोटापे की प्रवृत्ति को बढ़ा सकते हैं।

    3. मोटापे से जुड़े प्रमुख जीन

    कई जीन ऐसे हैं जो भोजन की इच्छा, मेटाबोलिज्म और ऊर्जा संतुलन को नियंत्रित करते हैं। ये जीन जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों के साथ मिलकर मोटापे को प्रभावित करते हैं:

    • FTO जीन: यह सबसे अधिक अध्ययन किया गया मोटापे से संबंधित जीन है। इसके कुछ वेरिएंट भूख को बढ़ाते हैं और पेट भरने का संकेत कमजोर कर देते हैं।
    • MC4R जीन: इस जीन में बदलाव भूख नियंत्रक प्रणाली को बिगाड़ सकते हैं, जिससे ओवरईटिंग की प्रवृत्ति बढ़ती है।
    • LEPR जीन: यह लेप्टिन रिसेप्टर बनाता है जो शरीर में भूख और ऊर्जा नियंत्रण में मदद करता है।
    • POMC जीन: यह जीन मेटाबोलिज्म और भूख को नियंत्रित करने में भूमिका निभाता है।
    • SH2B1 जीन: यह इन्सुलिन सिग्नलिंग और ऊर्जा संतुलन में जुड़ा होता है।
    • BDNF जीन: यह जीन मस्तिष्क में भूख और ऊर्जा संतुलन बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है।

    4. जीन और पर्यावरण के बीच संबंध

    यह समझना जरूरी है कि कोई व्यक्ति मोटा केवल इसलिए नहीं होता कि उसके जीन में यह प्रवृत्ति है। जीन और पर्यावरण का आपसी संबंध इस स्थिति को जन्म देता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति में मोटापे की आनुवंशिक प्रवृत्ति है, लेकिन वह सक्रिय जीवनशैली अपनाता है और संतुलित आहार लेता है, तो उसका मोटापे से बचना संभव है।

    इसके विपरीत, खराब खानपान और निष्क्रिय जीवनशैली वाले वातावरण में, एक सामान्य जीन वाला व्यक्ति भी मोटापे की ओर बढ़ सकता है।

    5. इस जानकारी का व्यावहारिक महत्व

    आनुवंशिक जानकारी जानने से मोटापे के प्रति जागरूकता और रोकथाम की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं:

    • व्यक्तिगत रणनीति बनाना: यदि किसी व्यक्ति को पता है कि उसके जीन में मोटापे की प्रवृत्ति है, तो वह अपने खानपान और एक्सरसाइज़ की योजना उसी के अनुसार बना सकता है।

    • जल्दी हस्तक्षेप: जिन परिवारों में मोटापा आम है, वहां बच्चों और युवाओं में समय रहते जीवनशैली सुधार लाना अधिक प्रभावी हो सकता है।

    • जैविक परामर्श (Genetic Counseling): ऐसे लोग जो जानना चाहते हैं कि वे आनुवंशिक रूप से मोटापे के प्रति संवेदनशील हैं या नहीं, वे विशेषज्ञ परामर्श से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।

    6. निष्कर्ष

    मोटापा एक जटिल स्थिति है जिसमें आनुवंशिक, पर्यावरणीय और जीवनशैली के कारक मिलकर काम करते हैं। हालांकि जीन मोटापे की प्रवृत्ति को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन यह निश्चित नहीं करते कि कोई व्यक्ति मोटा होगा ही। सक्रिय जीवनशैली, संतुलित आहार और सकारात्मक सोच मोटापे से बचाव और नियंत्रण में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं।

    आनुवंशिक जानकारी केवल एक पक्ष है, असल परिवर्तन तो व्यक्तिगत प्रयास और जागरूकता से ही आता है।


    अस्वीकरण:
    यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना अत्यंत आवश्यक है। स्वयं दवा लेना या इलाज करना हानिकारक हो सकता है।

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