बच्चों में मोटापा: कारण, दुष्परिणाम और रोकथाम
बाल मोटापा: कारण, दुष्परिणाम और रोकथाम
परिचय
आज के समय में बाल मोटापा एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन चुका है, जो न केवल विकसित देशों में बल्कि विकासशील देशों में भी तेजी से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जब किसी बच्चे के शरीर में अत्यधिक वसा स्वास्थ्य और जीवन शैली को प्रभावित करने लगे, तो उसे मोटापे की श्रेणी में रखा जाता है। यह केवल सौंदर्य या शारीरिक आकार की बात नहीं है, बल्कि एक ऐसी स्थिति है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर गहरा असर डाल सकती है।
1. बाल मोटापा क्या है
बाल मोटापा का मूल्यांकन आमतौर पर बॉडी मास इंडेक्स (BMI) के आधार पर किया जाता है। यदि किसी बच्चे का BMI उसकी उम्र और लिंग के अनुसार 95वें प्रतिशतक या उससे अधिक है, तो उसे मोटापे की श्रेणी में रखा जाता है। BMI एक सामान्य माप है, लेकिन यह शरीर की संरचना, जैसे मांसपेशियों और वसा के अनुपात, का पूरा आंकलन नहीं कर पाता।
2. बाल मोटापा क्यों बढ़ रहा है
2.1 अस्वस्थ खानपान
बाजार में मिलने वाले फास्ट फूड, शक्करयुक्त पेय और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की खपत बच्चों में तेजी से बढ़ी है। साथ ही, नाश्ते को छोड़ना या भोजन में पोषण की कमी होना भी एक कारण है।
2.2 शारीरिक निष्क्रियता
बच्चों का अधिकांश समय अब स्क्रीन पर व्यतीत होता है, चाहे वह टीवी हो, मोबाइल गेम्स या इंटरनेट। स्कूलों में खेल-कूद और शारीरिक शिक्षा की कमी भी इस समस्या को बढ़ा रही है।
2.3 आनुवांशिक कारण
अगर माता-पिता में से कोई मोटापे से ग्रसित है, तो बच्चे के मोटापे का खतरा भी अधिक होता है। हालांकि, यह केवल अनुवांशिक कारण नहीं बल्कि जीवनशैली का असर भी होता है।
2.4 सामाजिक और आर्थिक स्थिति
कम आय वाले परिवारों में स्वस्थ भोजन और खेल के संसाधनों की उपलब्धता सीमित हो सकती है। साथ ही, समय की कमी के कारण घर का खाना बनाने की जगह पैक्ड और बाहर का खाना ज्यादा खाया जाता है।
2.5 पर्यावरणीय कारक
कई इलाकों में सुरक्षित खेल स्थानों की कमी, स्वस्थ भोजन की उपलब्धता का अभाव और अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों का विज्ञापन बच्चों को प्रभावित करता है।
3. बाल मोटापे के दुष्परिणाम
3.1 स्वास्थ्य पर तत्काल असर
- टाइप 2 मधुमेह: मोटापे के कारण शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ता है
- उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल
- हृदय संबंधी समस्याएं
- नींद में बाधा जैसे स्लीप एपनिया
- हड्डियों और जोड़ों में दर्द
- मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव, जैसे आत्मसम्मान की कमी, अवसाद और सामाजिक अलगाव
3.2 दीर्घकालिक असर
- वयस्क अवस्था में भी मोटापे की संभावना
- दिल की बीमारियों, स्ट्रोक और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा
- जीवन प्रत्याशा में कमी
- स्वास्थ्य व्यवस्था पर आर्थिक दबाव
4. रोकथाम के उपाय
4.1 संतुलित आहार की शिक्षा
- स्कूलों और परिवारों को बच्चों को पोषण की जानकारी देना चाहिए
- फल, सब्ज़ियाँ और घर का बना पोषक आहार बढ़ावा देना चाहिए
- स्कूलों में स्वस्थ भोजन और जंक फूड पर नियंत्रण
4.2 शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देना
- बच्चों को नियमित रूप से खेलकूद में शामिल करना
- परिवार स्तर पर आउटडोर एक्टिविटी जैसे साइक्लिंग, वॉकिंग को अपनाना
- स्क्रीन टाइम सीमित करना
4.3 नीति निर्माण और सामाजिक जिम्मेदारी
- मीठे पेय पदार्थों पर टैक्स लगाना
- बच्चों को लक्षित कर विज्ञापित अस्वास्थ्यकर खाद्य वस्तुओं पर नियंत्रण
- स्कूलों में स्वास्थ्य-हितकारी नीतियाँ लागू करना
- स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से नियमित जांच और सलाह उपलब्ध कराना
निष्कर्ष
बाल मोटापा कोई साधारण समस्या नहीं है, बल्कि यह एक जटिल सामाजिक, पर्यावरणीय और पारिवारिक पहलुओं से जुड़ी चुनौती है। इसके समाधान के लिए केवल बच्चे ही नहीं, बल्कि अभिभावकों, स्कूलों, नीति निर्माताओं और समाज को एक साथ मिलकर काम करना होगा। समय रहते प्रयास किए जाएँ, तो हम अपने बच्चों को एक स्वस्थ, सक्रिय और लंबा जीवन दे सकते हैं।
अस्वीकरण:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी हेतु लिखा गया है। कृपया किसी भी स्वास्थ्य संबंधी निर्णय से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें।
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